सलमान खान के ऑनस्क्रीन 'चाचा' मिथिलेश चतुर्वेदी का निधन, दिल की बीमारी ने ले ली जान

Newz Fast, New Delhi हार्ट की बीमारी के चलते वो काफी समय से बीमार थे उनका इलाज मुंबई के कोकिलाबेन हॉस्पिटल में चल रहा था। बॉलीवुड और टीवी इंडस्ट्री के लिए एक दुख भरी खबर सामने आई है।
अभिनेता मिथिलेश चतुर्वेदी का अब हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने 3 अगस्त को अंतिम सांस ली। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वे काफी समय से हार्ट की बीमारी से जूझ रहे थे।
कुछ दिनों पहले ही उन्हें हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद वो अपने परिवार के पास बेहतर देखभाल के लिए लखनऊ शिफ्ट हो गए थे। हालांकि, ताजा अपडेट के मुताबिक, अभिनेता का निधन मुंबई के कोकिलाबेन हॉस्पिटल में हुआ है।
मिथिलेश चतुर्वेदी लंबे समय से टीवी और बॉलीवुड से जुड़े हुए थे
उन्होंने 'कोई मिल गया', सनी देओल के साथ 'गदर एक प्रेम कथा', 'सत्या', 'बंटी और बबली जैसी फिल्मों में काम किया था। इसके साथ ही फिल्म सलमान की फिल्म रेडी में उनकी भूमिका को काफी सराहा गया। इस फिल्म में वो सलमान खान के बड़े चाचा बने थे।
उन्होंने साल 1997 में फिल्म भाई-भाई से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। अलग-अलग रोल के साथ उन्होंने फिल्मों और टीवी सीरियल्स में अपनी पहचान बनाई। हाल ही में वो वेब सीरीज स्कैम 1992 में नजर आए थे।
फिलहाल वो Banchhada नाम की फिल्म में काम कर रहे थे। करिश्मा कपूर की फिल्म फिजा के एक सीन में उन्होंने मिथिलेश चतुर्वेदी पर पानी फेंक दिया था।
इस सीन के कारण ही उन्हें कोई मिल गया फिल्म मिली थी। खबर है कि उन्होंने कुछ और वेब सीरीज भी साइन की थी, पर नामों का खुलासा अभी तक नहीं हो पाया है।
एक बेहतरीन कलाकार और एक बेहतरीन शख्सियत किशोर कुमार किसी भी फिल्म के सेट या फिर गानों की रिकॉर्डिंग के दौरान स्टूडियो की जान हुआ करते थे.
उनके किस्सों को बताते हुए एक बार आशा भोंसले ने जिक्र किया था
वो अक्सर एक 'मानस बच्चे' के साथ फिल्म के सेट पर या स्टूडियो में आया करते थे. वो जैसे ही सेट में घुसते तो वो एक इमैजिनरी बच्चे का हाथ पकड़े हुए आते थे. सबके सामने बच्चे से नमस्ते करने को कहते और खुद ही बच्चों की आवाज़ में जवाब देते.
कई कई बार तो जब गानों की रिकॉर्डिंग हो रही होती तो वो बच्चे की आवाज़ में बोल उठते कि ये कैसा बकवास गाना है और फिर अपनी आवाज़ में कहते चुप चुप ऐसा नहीं कहते.
उनकी इस आदत के साथ हम सभी इतना घुल मिल गए थे कि कई बार उनके उस इमैजिनरी बच्चे के हाल चाल भी पूछ लेते थे. किशोर कुमार के जीवन से जुड़े कई पहलुओं पर गौर करने पर मिलता है कि वो अक्सर अपने सेट से गायब होकर कहीं चले जाते थे,
शूटिंग छोड़ जाते थे, किसी के साथ रिश्ते में भी कई बार वो अलग होकर उस जगह से उठकर चले जाते थे. ये यूं अचानक चले जाना उन्हें सबसे ज्यादा भाता था.
लता मंगेशकर के साथ एक बार बातचीत में उन्होंने अपने इस नेचर के बारे में बात भी करते हुए कहा था कि वो किसी को दुःख नहीं पहुंचाना चाहते.
जब सब कुछ बेहतर चल रहा होता है तो मुझे लगता है कि
शायद यही वो सही समय है जब उठकर चले जाना चाहिए. मैं वहां से उठकर चला जाता था, या अभी भी छोड़ सकता हूं. मैं नहीं चाहता कि जब सब बहुत अजीब और दुखी सा हो जाए तब जाया जाए.
हमेशा एक अच्छी याद रहनी चाहिए. उनके कई गानों में उनकी इस बात की झलक भी मिली कि जीवन को लेकर वो हमेशा आगे की तरफ़ बढ़े. ये मानकर कि ज़िंदगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मकाम, वो फिर नहीं आते.
अल्हड़ और मदमस्त रहने वाले किशोर हमेशा एक ऐसी दुनिया सोचते थे जहां बस प्यार ही प्यार रहे. ऐसी एक दुनिया को जीने वाले किशोर कुमार का एक गाना भी उन्हीं की दुनिया बयान करता है.
प्यार के मामले में किशोर कुमार एकदम बच्चे से रहे, जिस पर प्यार आया उससे कह दिया. लेकिन एक दौर ऐसा भी आया कि उनके एक इकरार और फिर उसके बाद उठाए गए एक कदम के बाद उन्हें मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा.
ये बात तब की है जब उनके जीवन में रूमा देवी आईं
किशोर, रूमा से प्यार कर बैठे और उनसे शादी भी कर ली. इस बात ने उनके जीवन में भूचाल ला दिया था. बड़े भाई अशोक कुमार को जैसे ही इस बात का पता चल तो उन्होंने किशोर को ना सिर्फ घर से निकाल दिया बल्कि उन्हें फिल्म स्टूडियो बॉम्बे टॉकीज़ से भी निकलवा दिया.
ये सबसे बुरा दौर था, जब सबसे ज्यादा प्यार करने वाला बड़ा भाई अपने भाई को घर से निकाल दे. किशोर दुखी थे, लेकिन उन्हें इन सभी बातों से ऐसी टूटन नहीं हुई कि कुछ अनहोनी घट जाए.
रूमा के साथ किशोर ने अपने जीवन को शुरू किया और अब आगे के सफ़र में उनका साथ खेमचंद प्रकाश और सचिन देव बर्मन ने दिया. सचिन देव बर्मन ने किशोर को हद पार प्यार किया.
उनकी मदद की. और सचिन देव बर्मन ही वो शख्स थे जिनकी वजह से को उनका पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला. और ये फिल्म थी- आराधना.
किशोर ने चार शादियां कीं. और ये चार नंबर किशोर के साथ काफी जुड़ा भी रहा
घर में चार भाई बहनों में चौथे नंबर के आभाष कुमार गांगुली ने एक्टिंग भी की. देव आनंद की पहली फिल्म के लिए जहां वो एक तरफ उनकी आवाज़ भी बने तो एक सीन में उन्होंने माली का किरदार भी निभाया.
इस किरदार पर अशोक कुमार ने एक बार बात करते हुए बताया कि जब किशोर को यह मालूम हुआ था कि ये सीन रीक्रिएट किया जाएगा तो वो सेट से भाग गया था.
इस सीन में हमने किशोर से एक छोटा रोल करने को कहा, कि तुम बस एक सीन में आओगे और बस ऐसे ही कुछ भी बोल देना, तो किशोर ने इस सीन में थोड़ा बहुत बोलकर बिना आवाज़ के गालियां भी दे दी थीं. यह फिल्म थी- जिद्दी. किशोर एक पैदाइशी कलाकार थे और उतने ही मस्तीखोर भी.
सेट पर शूटिंग का एक किस्सा है जिसमें उन्हें शूटिंग के दौरान उन्हें कार स्टार्ट कर के फ्रेम से IN और OUT होना था. डायरेक्टर ने जैसे ही ACTION कहा तो किशोर कार लेकर निकले, लेकिन वो फिर सीन ही नहीं शूटिंग सेट से भी आउट हो गए.
उन्हें ढूंढा गया कि किशोर कहां चले गए तो किशोर ने सेट पर तीन घंटे बाद ये सूचना पहुंचाई कि आपने CUT तो बोला ही नहीं इसलिए मैं पनवेल निकल आया.
एक मदमस्त कलाकार जिसके जैसा ना पहले कभी हुआ और ना शायद अब कभी होकर अपनी कार लेकर संको हंसाते हुए हमारी आंखों के सामने से गुज़र गया.
पीछे कुछ बाकी है तो उनके प्लान किये के हिसाब से हंसती खेलती बातें, वो हमेशा यही चाहते भी रहे कि कहीं कुछ बुरा ना रह जाए. किशोर कुमार हमारे दिलों में हमेशा ये खूबसूरत याद की तरह बने रहेंगे. जब भी मन उदास हुआ तो उनके युडली गुनगुना लेंगे.