मेरी कहानी: पढ़ाई बंद ना हो इसलिए मां ने अपना मंगलसूत्र बेच दिया, लेकिन अफसोस...

Newz Fast, Viral Desk मैं एक नाबालिक लड़का हूं और अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा हूं। मैं अपनी बहनों के साथ छोटे से घर में रहता हूं। मेरी मां को मरे हुए एक साल से भी अधिक समय हो चुका है।
मेरी मां हमारे लिए भगवान थी और वह हमारे लिए कुछ भी कर सकती थी और मां ने वो सब कुछ किया भी। मेरी मां मुझे हर पल याद आती है। मुझे आज भी वो काली रात याद हैए जब मेरी मां की हालत बिगड़ती जा रही थी।
दरअसल, कोरोना काल की दूसरी लहर मां कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं थी, लेकिन उन्हें ब्रेन ट्यूमर था, जिसका ऑपरेशन उसी समय होना था। हम सभी उनका इलाज कराने के लिए उन्हें अस्पताल लेकर गए।
शुरुआत में सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन कुछ समय बाद चीजें बिगड़ती चली गई। उन पर किसी भी तरह की दवाई का असर नहीं हो रहा था। वह दर्द से तड़प रही थी। मुझे याद है कि करीब साढ़े चार बजे उन्होंने अंतिम सांस ली थी।
मेरी मां को मेरी सबसे ज्यादा चिंता थी
जब मेरी मां दर्द में थीं, तो उन्होंने हम सभी को अपने पास बुलाया था। वह चाहती थीं कि उनके जाने के बाद भी हमारा पालन-पोषण अच्छी तरह से हो।
उन्हें मुझसे कुछ ज्यादा ही लगाव था। लगाव से ज्यादा उन्हें मेरी पढ़ाई की चिंता थी। शायद ऐसा इसलिए भी क्योंकि मैं सभी भाई-बहनों में सबसे छोटा था।
दरअसल, मेरे पिता का व्यवसाय भी अच्छा नहीं चल रहा था। कोरोना काल की वजह से उन्हें बहुत ज्यादा नुकसान हुआ था। इसी एक वजह से हमारा परिवार मां के सामने से आर्थिक तंगी से जूझ रहा था।
पैसों की कमी के कारण बहनों ने पढ़ाना शुरू कर दिया
मुझे अच्छे से याद है कि जब हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, तब मेरी बहनों ने गांव के लड़के-लड़कियों को मामूली फीस पर पढ़ाना शुरू कर दिया था।
मेरा परिवार किसी तरह से दिन में दो बार भोजन का प्रबंध करता था। हालांकि, इतना सब होने के बाद भी हमने कभी किसी से अपनी स्थिति व्यक्त नहीं की थी।
हम सभी चुपचाप संघर्ष कर रहे थे। मुझे बहुत अच्छे से याद है कि पैसों की कमी के कारण मैं सैलून में बाल काटने और शेविंग करने से बचता था।
हम सभी बिना साबुन के नहाते थे। एक-एक रूपए का हमारे लिए बहुत महत्व था। जीवन ने हम पर जो भी कठिन परिस्थितियां डाली थीं, हम सब हर दिन उससे निपट रहे थे।
मेरी मां ने अपने गहने बेच दिए
एक दिन ऐसा भी आया कि स्कूल की फीस जमा नहीं होने के कारण मुझे स्कूल से निकाल दिया था। मैं वापिस घर आया। इस दौरान मैं अपने भविष्य को लेकर इतना डर गया था कि मैं फूट-फूट कर रोने लगा।
अपने पैरों पर खड़े होने की प्रबल इच्छा भी मेरे अंदर खत्म सी हो गई थी। हालांकि, स्कूल की घटना के बारे में मैंने अपनी मां को कभी नहीं बताया था। तीन दिनों तक मैं उनके सामने स्कूल न जाने का नाटक करता रहा।
लेकिन तीसरे दिन मैंने स्कूल जाने का फैसला किया ताकि मैं स्कूल के प्रिंसिपल से कुछ समय देने की याचना कर सकूं। मैं स्कूल जा ही रहा था कि मैंने देखा कि मेरी मां विपरीत दिशा से आ रही है।
उसने मुझे इशारा करके अपने पास बुलाया। जैसे ही मैं उनके पास गया, उन्होंने मेरे हाथ में कुछ पैसे रखे। हाथ में पैसों को देखकर मैं अपने आंसुओं को नहीं रोक सका। ऐसा इसलिए क्योंकि मेरी नजर उनके कानों और गर्दन पर पड़ी। मैंने देखा कि उनके कान के कुंडल और मंगलसूत्र गायब है।
मुझे पता था कि उन्होंने मेरी पढ़ाई को जारी रखने के लिए अपने गहने बेच दिए थे। वह चाहती थीं कि मैं अच्छे से पढ़ सकूं। यही एक वजह भी है कि मैं उन्हें आज तक नहीं भूला हूं।
इसी तरह कई बलिदान हैं, जो उन्होंने हमारे परिवार के लिए किए हैं। मैं उन्हें आज भी बहुत प्यार करता हूं। काश! वह मुझे बड़ा होते देख सकतीं। लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हुआ।