नौकरीपेशा लोगों को लेकर RBI ने जारी की रिपोर्ट, एक साल में इतने बढ़ गए आकंड़े

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Newz Fast, New Delhi- RBI Latest Updates : सरकार ने देशभर में बेरोजगारों के लिए अच्छा काम किया है। हाल ही में आरबीआई की ओर से आई जानकारी के अनुसार बता दें कि देश में करोड़ों नौकरी रहे लोगों की संख्या में 5 साल के अंदर इतनी वृद्धि हुई है। आइए जानते है इसके बारे में पूरी जानकारी-

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भारत ने रोजगार के क्षेत्र में अच्छा काम किया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुमान के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2022-23 में देश नौकरीपेशा लोगों की संख्या लगभग 5 फीसदी बढ़कर 58 करोड़ हो गई है।

आरबी के केएलईएमएस डाटाबेस के अनुसार के मुताबिक 2021-22 में नौकरी करने वाले लोगों की संख्या 55.3 करोड़ थी। इनमें करीब तीन करोड़ की बढ़ोतरी हुई है।

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पिछले 5 वर्षों में 11 करोड़ नौकरियां बढ़ी हैं। देश में 2017-18 में 47 करोड़ लोग ही नौकरी पेशा थे। खास बात है कि 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार सबसे अधिक 23.7 करोड़ नौकरियां कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में सृजित हुईं हैं।

इसके बाद निर्माण में 6.8 करोड़ और व्यापार में 6.3 करोड़ नौकरियां पैदा हुईं। सबसे कम 3.24 लाख नौकरियां पेट्रोलियम उत्पादों के निर्माण में शामिल उद्योगों में थीं। वहीं प्लास्टिक उद्योग ने 13 लाख से अधिक नौकरियां पैदा की हैं।

आरबीआइ के केएलईएमएस डाटाबेस के अनुसार 2017-18 में देश में नौकरी करने वालों की संख्या करीब 47.1 करोड़ थी और अब यह करीब 58 करोड़ पहुंच गई है। आरबीआइ की यह रिपोर्ट कुछ ही महीनों में जारी की जाएगी।

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गौरतलब है कि आरबीआइ का केएलईएमएस डाटा, उत्पादन में पांच इनपुट पूंजी (के), श्रम (एल), ऊर्जा (ई), सामग्री (एम) और सेवाओं (एस) के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

कोरोना के कारण लोग बेरोगार हो गए थे

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और इंटरनेशनल ग्रोथ सेंटर (आइजीसी) के भारत कार्यक्रम के पूर्व निदेशक प्रोनब सेन ने कहा कि कोरोना के कारण रोजगार गंभीर रूप से प्रभावित हुए थे। इसके कारण हमारी सामान्य बेरोजगारी की दर 3 फीसदी की तुलना में 9 फीसदी तक बढ़ गई है।

ऐसे में यह नौकरी के नए अवसर नहीं हैं, बल्कि महामारी के दौरान बंद हो गए नौकरी के अवसरों को फिर से खोलना है। यह इंगित करता है कि हमारी अर्थव्यवस्था कोविड वर्ष से उबर रही है।

इतने लोग नौकरी में हुए पेश

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2017-18 47.1 करोड़

2018-19 48.3 करोड़

2019-20 52.2 करोड़

2020-21 54.4 करोड़

2021-22 55.3 करोड़

2022-23 58 करोड़ (अनुमानित)

(आरबीआइ के केएलईएमएस डाटाबेस के अनुसार)

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