New Criminal Law : 1 जुलाई से देश में बदल जाएंगे ये तीन अपराधीक कानून, सुप्रीम कोर्ट ने करवाए ये बदलाव

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Newz Fast, New Delhi New Criminal Law : भारत में आपराधिक मामलों से जुड़े 3 नए कानूनों को संसद ने हरी झंडी दिखा दी है। जिसके बाद पूरे देश में ये तीन कानून 1 जुलाई से लागू होने वाले हैं। जब ससंद ने इन कानूनों की मंजूरी दी तो उसके चार माह के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि पहले भारतीय न्याय संहिता में एक अहम प्रावधान जुड़ा हुआ है। तो चलिए जानते हैं किन कानूनों में बदलाव हुआ है और कौन से नए कानून संविधान में जुड़े हैं।

इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि झूठे महिला उत्पीड़न के आरोपों को रोकने और कम करने के लिए भारतीय न्याय संहिता में सुमचित बदलाव को लेकर केंद्र सरकार और विधायिका इस पर विचार करें। जिससे आम लोगों को राहत मिल सके।

इन धाराओं को बदलने पर हुआ विचार-

जस्टिस जीवी परदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने बताया कि आज के समय में महिलाओं के साथ शोषण की झूठी शिकायतें दर्ज होने के मामले काफी बढ़ रहे हैं। जिनको रोकने के लिए धारा 85 और 86 में बदलाव करने की जरूरत है। अगर इन दोनों धाराओं में बदलाव हो जाए तो ये सबसे अच्छा काम होने वाला है।

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इन मुद्दों पर भी गौर करें विधायिका-

New Criminal Law : कोर्ट की तरफ से कहा गया कि यह धाराएं हु-बहु आईपीसी की धारा 498 A जैसा ही है। इसमें फर्क बस इतना है की धारा 498 A का स्पष्टीकरण भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 86 में दिया गया है। कोर्ट के तरफ से यह भी कहा गया है कि हम विधायिका से गुजारिश करते हैं कि वह हकीकत के मध्य नजर इस सम्मेलन से मुद्दे परगौर करें। भारतीय न्याय संहिता 2023 के लागू होने के बाद पहले धारा 85 और 86 में जरूरी बदलाव होना चाहिए।

जस्टिस जेवी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच के तरफ से कहा गया कि भारतीय न्याय संहिता, 2023 के लागू होने से पहले धारा 85 और 86 पर गौर कर रही है। कोर्ट ने रजिस्ट्री को इस फैसले की एक-एक कॉपी केंद्रीय विधि सचिव और गृह सचिव को भेजने का निर्देश दिए है। यही दोनों इस पर अपनी अनुशंसा और टिप्पणी के साथ इस विधि और न्याय मंत्री के साथ-साथ गृह मंत्री के सक्षम रखेंगे।

New Criminal Law : नई धारा 85 और 86 में है ये बात-

आपको बता दे की BNS की धारा 85 में यह कहा गया है कि अगर महिला का पति या पति का रिश्तेदार उसके साथ क्रूरता व्यवहार करेगा तो अपराध सिद्ध होने पर उसे 3 साल तक जेल का सजा मिलेगा।

इसके साथ ही उसे पर नगद जुर्माना भी लगाया जाएगा। इस प्रावधान के साथ बीएनएस की धारा 86 क्रूरता की परिभाषा विस्तृत व्याख्या के साथ बतातीहै। इसमें प्रीत महिला को मानसिक और शारीरिक, दोनों तरह से होने वाले नुकसान शामिल हैं।

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पीठ के तरफ से यह कहा गया कि उसने 14 साल पहले केंद्र से दहेज विरोधी कानूनी यानी आईपीसी की धारा 498A पर फिर से विचार करने के लिए कहा गया था। क्योंकि बड़ी संख्या में दहेज प्रताड़ना की शिकायतों में घटना को बढ़ा चढ़ा कर बताया जाता रहा है।

कोर्ट ने क्यों कही ये बात?

अदालत के द्वारा कहा गया कि एक महिला द्वारा अपने पति के खिलाफ दायर दहेज उत्पीड़न के मामले को रद्द करते हुए कही है। पीड़ित पत्नी की तरफ से दर्ज कराई गई FIR के मुताबिक, पति और उसके परिवार के सदस्यों ने कथित तौर पर दहेज की मांग किए हैं और उसे मानसिक और शारीरिक नुकसान पहुंचाए है।

जबकि पीड़ित महिला के परिवार में शादी के वक्त बड़ी रकम खर्च किए थे। उसकी स्त्री धन भी पति और उसके परिवार को सौंप दिया गया था लेकिन शादी के कुछ दिनों के बाद पति और उसके परिवार ने उसे झूठे बहाने से परेशान करना शुरू कर दिया।

उसका कहना था कि वह एक पत्नी और घर की बहू के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रही है इसकी आड़ में उसे पर अपने मायके से और ज्यादा दहेज लाने की लिए कहा जा रहा है।

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बेंच ने कहा कि FIR और चार्ज शीट यह इशारा करता है कि महिला के आप काफी स्पष्ट हैं, इसके अलावा आरोप सामान्य और व्यापक रूप से भी हैं। साथ ही उनमें आपराधिक आचरण का कोई उदाहरण भी नहीं दिया गया है।

पहली जुलाई को लागू होने के लिए प्रस्तावित इन तीनों कानूनी संहिताओं को पिछले साल 21 दिसंबर को संसद की मंजूरी मिल गई थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को इनको अपनी सहमति देते हुए हस्ताक्षर भी कर दिए थे।

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