रोजाना शैर करने से से मानसिक क्षमता का होता है विकास, मोबाइल ब्रेन व बाडी इमेजिंग सिस्टम के प्रयोग से किया गया अध्ययन

बता दें कि नियमित टहलने से मानव शरीर पर सकारात्मक असर पड़ता है जो हमारी संज्ञानात्मक क्षमता के विकास में सहायक है
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Newz Fast, Viral Desk   Walking Benefits आपको बता दें कि आज के समय में स्वस्थ रहना किसी चुनौती से कम नहीं है. बता दें कि डेल मोन्टे यूनिवर्सिटी में न्यूरोसाइंस के एसोसिएट प्रोफेसर एडवर्ड फ्रेडमैन ने इस शोध की अगुआई की है।

उन्होंने इस पूरे शोध पर जानकारी देते हुए बताया कि इससे न्यूरोसाइंटिस्ट को काम करने में काफी मदद मिली।

 आपको बता दें कि रोजाना टहलना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। खास बात यह है कि इससे शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक असर पड़ता है।

विज्ञानियों ने नए अध्ययन में पाया है कि रोजाना पैदल चलने से संज्ञानात्मक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलती है। रोचेस्टर यूनिवर्सिटी के डेल मोन्टे इंस्टीट्यूट फार न्यूरोसाइंस के शोधकर्ताओं ने पाया है कि नियमित टहलने से मानव शरीर पर सकारात्मक असर पड़ता है जो हमारी संज्ञानात्मक क्षमता के विकास में सहायक है।

इस शोध के लिए विज्ञानियों ने लोगों को कुछ समूहों में बांटा। बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के पीएचडी छात्र एलेनी पटेलाकी ने बताया कि इस बात का कोई अनुमान नहीं था कि कौन किस श्रेणी में आएगा।


शोध का उद्देश्य स्पष्ट रखा गया था। पहले कहा जाता था कि टहलना एक विशिष्ट कार्य है, इस दौरान किसी अन्य कार्य को करने से दोनों की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

लेकिन शोध की शुरुआत में ही आश्चर्यजनक रूप से देखा गया कि दोहरे कार्य करने से उसकी गुणवत्ता पर असर नहीं पड़ा। यह दिलचस्प और अप्रत्याशित था।

अमूमन देखा गया है कि एक साथ जितने अधिक कार्य करने पड़ते हैं, हमारा प्रदर्शन उतना ही कम होता जाता है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मोबाइल ब्रेन/बाडी इमेजिंग सिस्टम का उपयोग करते हुए विज्ञानियों ने 26 स्वस्थ लोगों के मस्तिष्क की गतिविधि और व्यवहार का अध्ययन किया।

इस दौरान हर गतिविधि की छवि का अध्ययन किया गया। हर बार छवि बदलने पर प्रतिभागियों को बटन क्लिक करने का निर्देश दिया गया था।

इस कार्य में प्रत्येक प्रतिभागी को बैठने के दौरान हासिल किए गए प्रदर्शन को उनका व्यक्तिगत आधारभूत प्रदर्शन माना गया।

जब एक ही कार्य को करने के लिए चलना जोड़ा गया तो शोधार्थियों को अलग व्यवहार देखने को मिला, जो बैठने से अलग था। कुछ लोगों ने अपने बैठने की आधार रेखा से भी बेहतर प्रदर्शन किया।

 बताया जा रहा है किडाटा के विश्लेषण से पता चला कि कार्य में सुधार करने वाले 14 प्रतिभागियों के ललाट व मुंह पर बदलाव दिखा जो अन्य 12 प्रतिभागियों में नहीं था

 विज्ञानियों ने बताया कि खुली आंखों से प्रतिभागियों में यह बदलाव देखना संभव नहीं था। शोधकर्ताओं ने बताया कि हमने प्रतिभागियों के व्यवहार और मस्तिष्क की गतिविधि का विश्लेषण करना शुरू किया।

हमने समूह के तंत्रिका हस्ताक्षर में आश्चर्यजनक अंतर पाया, जो उन्हें जटिल दोहरे कार्य को कुशलता से पूरा करने में मदद करता है।


 बताया जा रहा है कि डेल मोन्टे यूनिवर्सिटी में न्यूरोसाइंस के एसोसिएट प्रोफेसर एडवर्ड फ्रेडमैन ने इस शोध की अगुआई की। उन्होंने इस पूरे शोध पर जानकारी देते हुए बताया कि इससे न्यूरोसाइंटिस्ट को काम करने में काफी मदद मिली।

यह शोध दर्शाता है कि एक स्वस्थ मस्तिष्क के लचीलेपन से दोहरे कार्य को करना आसान होता है। साथ ही संज्ञानात्मक विकास को प्राप्त किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, यह शोध बताता है कि मस्तिष्क चलने के दौरान कैसी प्रतिक्रिया करता है और कार्य करने के दौरान कैसी प्रतिक्रिया करता है। यह हमें वृद्ध, वयस्कों और विशेष रूप से स्वस्थ लोगों के दिमाग को देखने और उसे परखने के लिए एक स्थान देता है।

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