'Prithviraj' के लिए महलो के रिक्रिएट करने पर मेकर्स ने खर्च किए 35 करोड़

‘पृथ्वीराज’ के लिए दिल्ली, कन्नौज और राजस्थान के महल रिक्रिएट करने पर मेकर्स ने खर्च किए 35 करोड़
Newz Fast : कोरोना काल के बाद से सिनेमाघरों में बड़े बजट की फिल्मों की डिमांड बढ़ती दिखाई दे रही है। तभी मेकर्स हिस्टोरिकल और पीरियड फिल्मों पर दांव लगा रहे हैं। अक्षय कुमार की अपकमिंग फिल्म ‘पृथ्वीराज’ भी उसी जोन की है।
मेकर्स ने इसे विजुअली बड़ा बनाने की गरज से इसके वॉर सीक्वेंसेज को राजस्थान के लाइव लोकेशनों पर तो 300 से 400 जूनियर आर्टिस्टों को बतौर सिपाही हाथी-घोड़ों के साथ शूट किया है।
उन सबके हथियारों को ही स्टॉक करने और अलग लोकेशनों पर ले जाने में 19 ट्रक यूज होते थे। साथ ही तब के दिल्ली, राजस्थान और कन्नौज के आलीशान महल, दरबार, बाजार क्रिएट करने में मेकर्स के 35 करोड़ खर्च हुए हैं। फिल्म के प्रोडक्शन डिजाइनर अमित रे और सुब्रत चक्रवर्ती ने पृथ्वीराज के जहान के निर्माण की कहानी खास तौर पर दैनिक भास्कर से शेयर की है।
वॉर सीक्वेंसेज 10 से 12 दिनों तक शूट किए गए
अमित रे ने कहा, "फिल्म में ज्यादातर लाइव लोकेशन राजस्थान के हैं। वहां वॉर सीक्वेंसेज 10 से 12 दिनों तक शूट किए गए थे। बाकी ज्यादातर शूटिंग मुंबई के विभिन्न इलाकों में महलों, दरबार और बाजार के बने सेट पर हुई है। वहीं के बोरिवली के सिंटे ग्राउंड में दिल्ली, राजस्थान और कन्नौज क्रिएट किया गया।
वह इसलिए कि कहानी उन तीनों सल्तनत में ट्रैवेल करती है। तीनों सल्तनत के राजाओं के महलों के लिए डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेद्वी ने तीन अलग कलर पैलेट यूज करने को कहा था। दिल्ली के महलों के लिए लाल, राजस्थान के लिए पीला और कन्नौज को डेपिक्ट करने के लिए उजला कलर इस्तेमाल किया गया।"
पृथ्वीराज में शेर से भिड़ंत करते दिखेंगे अक्षय
अक्षय कुमार यहां 'सूर्यवंशी' और 'बेलबॉटम' के बाद एक बार फिर हार्डकोर एक्शन करते नजर आएंगे। फिल्म में एक फाइटिंग एरिना है। वहां बतौर पृथ्वीराज वह शेर से भिड़ंत करते दिखेंगे। अमित रे आगे बताते हैं, "उस सीन में शेर असली ही है। वीएफएक्स से शेर क्रिएट नहीं किया गया।
उसके बजाय क्रू मेंबर्स अफ्रीका गए। वहां प्रशिक्षित शेरों पर मनवांछित एंगल में क्रोमा के अगेंस्ट शूट कर आ गए। फायदा यह रहा कि अफ्रीका में टेक्निशियनों की बड़ी फौज नहीं ले जानी पड़ी।
कैमरामैन मानुष नंद और उनके चार पांच असिस्टेंट ही वहां गए। ट्रेंड लायन के सामने क्रोमा रखा और उसके जंप के अलग अलग एंगल शूट कर आ गए। यहां मुंबई आकर हीरो पर क्रोमा प्लेसमेंट कर दिया।"
वॉर सीक्वेंसेज राजस्थान में ही फिल्माए गए दरअसल, मानुष नंदन ही 'ठग्स ऑफ हिंदोस्तान' के भी डीओपी थे। तब वहां उस पर वीएफएक्स बहुत था। यहां 'पृथ्वीराज' के मद्देनजर प्रोड्यूसर आदित्य चोपड़ा ने फिल्म में वीएफएक्स कम ही रखने के निर्देश दिए थे।
फिल्म में वॉर के सीक्वेंसेज राजस्थान में ही फिल्माए गए, क्योंकि मुंबई में हाथियों की अवेलेबिलिटी नहीं हो पाती।
वहां पूरी टीम सैनिकों के किरदारों के लिए 300 से 400 जूनियर आर्टिस्टों को साथ ले गए थे। उन सबके तलवार, ढाल, भाले, बख्तरबंद आदि इतने तादाद में रहते थे कि मुंबई से राजस्थान ले जाने के लिए 19 ट्रक यूज होते थे।"
अमित रे आगे बताते हैं, "यह हिस्टोरिकल वॉर जॉनर की मल्टीस्टारर फिल्म है। साथ में दरबारी, सैनिक और बाकी किरदार की भी अमूमन मौजूदगी जरूरी रहती थी। लिहाजा, सेट पर 300 से 400 लोगों की भीड़ जमा रहती थी।
ऐसे में जब अक्षय सेट पर अपने हिस्से की शूटिंग करने आते थे, तो डायरेक्टर डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेद्वी माइक पर श्लोक उच्चारण करने लगते थे। ताकि पृथ्वीराज वाली ऊर्जा से वो ओत-प्रोत रह सकें।"