देश की पहली एसी ट्रेन को इस तरह किया जाता था ठंडा, गजब था सिस्टम- जानिए

आपको बता दें कि देश की पहली एसी ट्रेन का नाम फ्रंटियर मेल था। इस ट्रेन ने 1 सितंबर 1928 यानी 93 वर्ष पहले अपनी यात्रा की शुरू की थी।

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Newz Fast,New Delhi  भारतीय रेलवे (Indian Railways) विश्व की चौथी सबसे बड़ी रेलवे प्रणाली (System- सिस्टम) है। भारतीय ट्रेन में वर्तमान समय में ट्रेनों में कई सुविधाएं उपलब्ध हैं। एक ही ट्रेन में कई तरह की बोगियां लगी होती हैं। क्रमश: सामान्य (जनरल), शयनयान (स्लीपर), तृतीय श्रेणी (Third Class), द्वितीय श्रेणी और प्रथम श्रेणी (Second Class and First Class) आदि।

लेकिन समय के साथ साथ ट्रेन की बोगियों में सुविधाओं को बढ़ाया जाता रहा है। लेकिन, बहुत कम लोगों को जानकारी है कि देश की पहली ऐसी कौन सी ट्रेन थी जिसकी बोगी में एसी का इस्तेमाल किया गया था। तो चलिए कोई देर न करते हुए आपको इसके बारे में बताते हैं कि किस तरह बोगी ठंडी हुआ करती थी और इसकी शुरुआत कब की गई थी।

1928 में की गई थी शुरुआत

आपको बता दें कि देश की पहली एसी ट्रेन का नाम फ्रंटियर मेल था। इस ट्रेन ने 1 सितंबर 1928 यानी 93 वर्ष पहले अपनी यात्रा की शुरू की थी। रिपोर्ट के अनुसार, पहले इस ट्रेन को फ्रंटियर मेल के नहीं बल्कि पंजाब एक्सप्रेस के नाम से जाना जाता था। क्योंकि वर्ष 1934 में पंजाब एक्सप्रेस ट्रेन में एसी बोगी को जोड़ा गया था। जिसके बाद इस ट्रेन का नाम बदलकर फ्रंटियर मेल रख दिया गया। यह ट्रेन उस दौर में राजधानी जैसी ट्रेनों जैसा महत्व रखती थी।

इस तरह किया जाता था ट्रेन का ठंडा

वर्तमान समय की तरह फ्रंटियर मेल एसी ट्रेन को ठंडा रखने के लिए आधुनिक उपकरणों को इस्तेमाल नहीं किया जाता था। इस ट्रेन को ठंडा करने के लिए एक खास तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया गया था। खबरों की मानें तो ट्रेन की बोगियों को ठंडा करने के लिए बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल किया जाता था। बर्ष की सिल्लियों को बोगी के नीचे एक बॉक्स रखा जाता था। बॉक्स में रखकर जब पंखें चलाए जाते थे, जिस वजह से यात्रियों को बहुत ठंडी हवा पहुंचती थी

रिपोर्ट के अनुसार, फ्रंटियर मेल एसी ट्रेन दिल्ली, पंजाब और लाहौर होते हुए पेशावर तक पहुंचती थी। ये ट्रेन अपना सफर तीन दिन में पूरा करती थी। इस दौरान जो बर्फ पिघल जाती थी उसको अलग-अलग स्टेशनों पर निकाल कर दोबारा भर दिया जाता था। इस ट्रेन में भारत के राष्ट्रीय पिता महात्मा गांधी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भी यात्रा की थी। इस ट्रेन की यह भी खासियत थी कि ये कभी भी लेट नहीं होती थी।

बताया जाता है कि ट्रेन के शुरू होने के बाद 11 महीने बाद जब ये ट्रेन लेट हुई थी, तो सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए ट्रेन के पायलट को नोटिस भेजकर जबाव तलब किया था। बताया जाता है कि इस ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों को अखबार, किताबें और ताश के पत्ते मनोरंजन के लिए जाते थे। आजादी के बाद ये ट्रेन मुंबई से अमृतसर तक चलाई जाने लगी थी। बाद में इस ट्रेन का नाम बदलकर गोल्डन टेंपल रख दिया गया था।

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