Weather Update: मौसम विभाग को कैसे पता लगता है कि अगले दो दिन में ठंड पड़ेगी या बारिश होगी?

मौसम विभाग आपको कुछ दिन पहले ही आने वाले मौसम बदलाव के बारे में बता देता है, लेकिन क्या आप जानते हैं मौसम विभाग किस तरह से इसकी गणना करता है और उनका तरीका क्या है।

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Newz Fast, New Delhi मौसम विभाग हवाओं के रुख और अलग अलग मशीनों के जरिए पूर्वानुमान लगाते हैं। जब भी मौसम में बदलाव होने वाला होता है, उससे पहले ही मौसम विभाग (Met Department) आपको इस बदलाव के बारे में सचेत कर देता है।

अक्सर देखने को मिलता है कि अगर बारिश आने की संभावना होती है या फिर तापमान में ज्यादा बदलाव (Weather Forecast) होने वाला होता है तो मौसम विभाग बता देता है कि आने वाले दिनों में क्या होने वाला है।

अधिकतर समय यह संभावनाएं सच भी होती है और लोग इन संभावनाओं के हिसाब से अपने आगे के प्लान बना लेते हैं। अब मौसम विभाग पूर्वानुमान (Met Department Predictions) को लेकर काफी सटीक होने लगा है और तकनीकों का सहारा भी लिया जा रहा है।

मौसम विभाग के पूर्वानुमान को लेकर कभी आपने सोचा है कि आखिर मौसम विभाग किस आधार पर यह गणना करता है कि आने वाले दिनों में क्या होने वाला है और अब मौसम कैसा रहेगा। तो आज हम आपको बताते हैं कि मौसम विभाग कैसे मौसम का पता करता है और किन तकनीकों का सहारा लिया जाता है…

कैसे लगता है मौसम का पूर्वानुमान?

गार्गी कॉलेज की तैयार की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, मौसम का बदलाव एक स्थान या समय पर हवा की स्थिति के हिसाब से होता है। यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है और इन हवा की स्थिति के जरिए मौसम का पूर्वानुमान लगाना काफी चुनौतीपूर्ण कार्य है।

मौसम के पूर्वानुमान की प्रक्रिया अलग अलग स्थितियों पर जुटाए गए डेटा के आधार पर की जाती है और उन डेटा का अध्ययन करके अनुमान लगाया जाता है। वर्तमान स्थिति और उसके बदलाव का मात्रात्मक डेटा का विश्लेषण ही मौसम का पूर्वानुमान है।

जिन स्थितियों को डेटा जुटाया जाता है, उनमें जमीनी अवलोकन, विमान से अवलोकन, रेडियो ध्वनि, डॉपलर रडार, सैटेलाइट आदि शामिल है। फिर इन सूचनाओं को मौसम विज्ञान केंद्र को भेजी जाती है

 जहां इस डेटा के आधार पर वैज्ञानिक पूर्वानुमान लगाते हैं। हालांकि, इसमें हाई-स्पीड कम्प्यूटर, ऊपरी हवा के नक्शे आदि का भी अहम रोल होता है। डेटा और इन नक्शों के जरिए अंदाजा लगाया जाता है।

बता दें कि यह अनुमान भी कई आधार पर लगाया जाता है, जैसे एक अवलोकन लंबे समय के लिए होता है तो एक उसी दिन का अनुमान होता है।

जैसे कई बार साल में मॉनसून कैसा रहेगा उशकी जानकारी लेनी होती है तो कई बार तूफान अगले तीन घंटों में कहां रहेगा। इसलिए समय के आधार पर अलग-अलग पूर्वानुमान मौसम विभाग की ओर से लगाए जाते हैं।

किन उपकरणों का लिया जाता है सहारा?

मौसम के पूर्वानुमान के लिए हाई-स्पीड कंप्यूटर, मौसम संबंधी उपग्रह और मौसम रडार अहम भूमिका निभाते हैं। इनके जरिए सटीक डेटा प्राप्त करने में मदद मिलती है और धीरे धीरे इन टेक्नोलॉजी में सुधार हो रहा है और उसका नतीजा है कि मौसम विभाग का अनुमान सटीक होता जा रहा है।

सीधे शब्दों में कहें तो मौसम पूर्वानुमान के लिए सबसे पहले मौसम और मौसमी आंकड़ों से संबंधित सूचनाएं प्राप्त की जाती है। इसके साथ ही हवाओं के रुख के जरिए तापमान, दाब, आर्द्रता आदि के बारे पता किया जाता है।

इसके साथ ही इसमें डॉप्लर रडार के आंकड़ों का भी इस्तेमाल होता है और फिर डेटा विश्लेषण के साथ मौसम भविष्यवाणी होती है

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