गेहूं की इन 5 किस्मों ने किसानों को किया मालामाल, आगे भी करेगी भरपूर फायदा

अन्य सभी फसलों की तरह अगर गेहूं की उन्नत वैरायटी का चयन किया जाए तो गेहूं की फसल से भी अधिकतम उत्पादन लिया जा सकता है, जिससे अधिकतम मुनाफा भी कमाया जा सकता है।

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Wheat mandi bhav today

Newz Fast, New Delhi भारत पूरी दुनिया में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। जनसंख्य बढ़ने के साथ-साथ गेहूं की मांग भी बढ़ती जा रही है। इस साल गेहूं की उन्नत किस्मों ने किसानों को मालामाल कर दिया है।

हालांकि डिमांड के हिसाब से उत्पादन कम रहा। इसलिए उत्पादन को बढ़ाने के लिए और भी उन्नत किस्मों की आवश्यकता है आईए हम आपको बताते हैं गेहूं की उन्नत किस्मों के बारे में। 
अन्य सभी फसलों की तरह अगर गेहूं की उन्नत वैरायटी का चयन किया जाए तो गेहूं की फसल से भी अधिकतम उत्पादन लिया जा सकता है, जिससे अधिकतम मुनाफा भी कमाया जा सकता है।

 

ये हैं गेहूं की उन्नत किस्में

Hi 8759 ( पूसा तेजस )

पूसा तेजस एक अधिकतम उपज देने वाली गेहूं की किस्म है। पूसा तेजस किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद इंदौर द्वारा विकसित की गई गेहूं की किस्म है। इस किस्म की अधिकतम उपज 55 से लेकर 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होती है।

इसे चार से पांच बार सिंचाई की आवश्यकता होती है, यह किस्म 120 से 125 दिन में पककर पूरी तरह तैयार हो जाती है। इस किस्म का प्रयोग पास्ता, रोटी और दलिया जैसी चीजों को बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

करण वंदना (Karan Vandana )

इस किस्म को डीबीडबल्यू – 187 (DBW -187) भी कहा जाता है, यह उत्पादन के मामले में सर्वश्रेष्ठ गेहूं की वैरायटी है, और साथ ही इस वैरायटी में पीला रतवा और ब्लास्ट जैसी बीमारियां लगने की संभावना बहुत कम होती है।

यह किस्म 120 दिनों में पक्कर पूरी तरह से तैयार हो जाती है, प्रति हेक्टेयर इसका उत्पादन लगभग 75 क्विंटल के आसपास होता है। किसान भाइयों के लिए यह किस्म बेहद फायदेमंद हो सकती है।


 करण नरेंद्र (Karan Narendra )

करण नरेंद्र गेहूं की एक नई किस्म है जिसका अन्य नाम डीबीडब्ल्यू 222 (DBW -222) भी है। यह किस्म 2019 में आई थी। करण नरेंद्र गेहूं की किस्म 140 दिनों में पककर पूरी तरह से तैयार होती है।

यह कम पानी में भी आपको अधिक से अधिक उत्पादन प्रदान करती है। इसके पौधे की लंबाई 1 मीटर के लगभग होती है, इस किस्म की रोटी बहुत अच्छी होती है,  इस किस्म का उत्पादन 65 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता है।


पूसा उजाला (Pusa Ujala )

इस किस्म को Hi – 1605 के नाम से भी जाना जाता है।  इसे 2017 में दिल्ली में डिवेलप किया गया है। यह फसल 120 – 125 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
इसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के लगभग होता है, सरकार द्वारा इस वैरायटी को विशेष महत्व दिया गया है, और इसे कुछ इस तरह से तैयार किया गया है, कि यह कम पानी में भी अधिक उत्पादन दे सके।

पूसा यशस्वी ( Pusa Yashasvi )


इस किस्म को HD – 3226 के नाम से भी जाना जाता है, इसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 65 से 70 क्विंटल के करीब होता है, इसमें प्रोटीन और ग्लूटिन की अधिकता है। यह फसल 142 दिन में पककर तैयार होती है, यह एक नई किस्म है, यह फफूंदी और गलन रोग प्रतिरोधक होती है।

तो यह थी गेहूं की 5 सबसे उन्नत किस्में  ( 5 Best Variety Of Wheat ) जो अच्छी गुणवत्ता वाली हैं । ये स्वाद और पोषण से भरपूर तो हैं ही किसानों को अधिक से अधिक मुनाफा भी प्रदान करती हैं।

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