Cotton के दाम में बढ़ोत्तरी के बीच निर्यात में आई गिरावट, बढ़ रहा कीटों का प्रकोप

इस साल कपास किसानों को अच्छा रेट मिला है, लेकिन कपास के निर्यात में गिरावट आई है।  

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Newz Fast, New Delhi कपास की रिकॉर्ड कीमत होने के बावजूद विश्व बाजार में निर्यात में कमी देखी गई। निर्यातको द्वारा सबसे ज्यादा खानदेश क्षेत्र का कपास पसंद किया जाता है और खानदेश में ही सबसे ज्यादा कपास की खेती की जाती है

 लेकिन इस साल कीटों के प्रकोप से कपास के उत्पादन में गिरावट आई है, जिसका असर निर्यात पर हुआ है। इस साल पहली बार मराठवाड़ा और विदर्भ से कपास का निर्यात किया गया है। खानदेश के कपास निर्यात में 80 फीसदी की गिरावट आई है।

कपास पर सबसे बड़ा संकट गुलाबी सुंडी के बढ़ते प्रकोप से है, जिससे मराठवाड़ा में कपास का रकबा कम हो गया है। खानदेश में केले के साथ-साथ कपास की भी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।

अकेले जलगांव जिले में 8 लाख 50 हजार हेक्टेयर में कपास की खेती होती है। हालांकि, बॉलवर्म के प्रकोप से कपास उत्पादक किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। बॉलवर्म के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए शासन स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।

एक जून के बाद कपास की खेती के लिए सीमा तय की गई है ताकि किसान एकीकृत प्रबंधन कर सकें।और कीटों के प्रकोप कम हो सके।

स्थानीय बाजार में भी कोई हलचल नहीं

अनिश्चित प्रकृति और अत्यधिक बारिश के कारण कपास के उत्पादन में गिरावट आई है। साथ ही अंतिम चरण में, गुलाबी सुंडी, अन्य कीटों का प्रकोप तेजी से बढ़ गया। ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों ने न केवल उत्पादन को कम किया बल्कि कपास की गुणवत्ता भी खराब हो गई है।

इसकी वजह से खराब क्वालिटी के कारण निर्यातकों ने न केवल खरीदारी बंद कर दी, बल्कि स्थानीय बाजार में अंत तक कम अच्छी क्वालिटी के कपास की मांग भी नहीं रही थी। इसलिए, उच्च कीमतों से किसानों को सीधे लाभ नहीं हुआ है।

खरीफ सीजन में कपास का बढ़ेगा रकबा

इस साल कपास का रिकॉर्ड दाम देखकर कृषि विभाग का कहना है कि आने वाले खरीफ के मौसम में किसान एक बार फिर से कपास की खेती की ओर रुख करेंगे। खासकर के मराठवाड़ा में, जंहा पिछले 5 साल से इसके उत्पादन में कमी रही है।

इसिलए कृषि विभाग अभी से सतर्क रुख अपना रहा है और किसानों से अपील कर रहा है कि हमारे मार्गदर्शन पर ही खेती करें। कीटों का प्रभाव कम करने के लिए ही कृष विभाग 1 जून से कपास का बीज किसानों को बेचेगा ताकि किसान समय से पहले इसकी खेती न करें, जिससे कीटो का प्रभाव बढ़ता है।

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